दो गुनी लागत में बनाई मल्टी, अब असामाजिक तत्वों का जमावड़ा बढ़ा

जेएनएनयूआरएम पुनर्वास योजना : लावारिस हालत में मल्टी, आधारभूत सुविधाएं गायब, रहवासी हो रही है परेशान

उज्जैन. जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) अंतर्गत गरीब परिवारों के पुनर्वास के लिए बनाई गई मल्टी में शुरुआत से पसरी अनियमितताएं अब भी जारी हैं। अधिकारियों की लापरवाही में पहले निर्माण की लागत दो गुना से अधिक हुई और अब इनकी हालत लावारिस सी हो गई है। कहीं फ्लैट्स में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा हो गया है तो कहीं दरवाजे-खिड़की ही गायब हो गए हैं। बिना अंशदान दिए घर पर कब्जा जमाए लोगों के कारण बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं प्रभावित हो गई हैं। इसका खमियाजा उन परिवारों को भुगतना पड़ रहा है, जिन्होंने जैसे-तैसे एक लाख रुपए देकर रजिस्ट्रियां करवाई हैं। इधर नगर निगम ने भी योजना पूरी होने के बाद से ही इससे मुंह फेर लिया है।

केंद्र सरकार ने चुनिंदा शहर में आधारभूत ढांचा विकास के लिए वर्ष २००५ में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन योजना शुरू की थी। इसमें उज्जैन को भी शामिल करते हुए गरीब परिवारों को जीवन स्तर सुधारने व पक्के मकान देने के लिए पुनर्वास योजना अंतर्गत चार स्थान गौंड बस्ती, नृसिंहघाट गौंड बस्ती, राजीव रत्न व पंवासा में मल्टी का निर्माण किया गया था। ५ वर्ष से भी अधिक समय में १३२० में से १२९६ मकान बन सके। पंवासा में तो अब भी ३० से अधिक मकान खाली पड़े हैं। वहीं अन्य मल्टी में भी कुछ फ्लैट आवंटन के बावजूद लावारिस हालात में ही हैं। संधारण की कमी के चलते ज्यादातर घरों में खिड़की-दरवाजों सहित बिजली कनेक्शन आदि की स्थिति खराब हो गई है।

 

दो गुनी लागत, फिर भी अंशदान नहीं मिला

योजना के प्रारंभ में १७ करोड़ ४० लाख रुपए से विभिन्न स्थानों पर १३२० इडब्ल्यूएस फ्लैट बनाए जाने थे। तब हितग्राही को अंशदान के रूप में करीब २० हजार रुपए जमा करना थे। जमीन उपलब्ध नहीं होने, प्रोजेक्ट में देरी, अधिकारियों की लापरवाही जैसे कारणों के चलते प्रोजेक्ट की लागत ३० करोड़ रुपए से अधिक तक पहुंच गई और अंशदान भी बढ़कर एक लाख रुपए हो गया। कुछ झुग्गी बस्तियों में निगम ने वहीं मल्टी बनाकर झुग्गीवासियों को उसमें शिफ्ट किया लेकिन इनमें से अधिकांश ने अंशदान नहीं दिया और रहना शुरू कर दिया। कुछ ने एक लाख रुपए देकर रजिस्ट्री करवाई। शहर में विभिन्न स्थानों से हटाई झोपडि़यों के लोगों को पंवासा मल्टी भेजा गया। इनमें से भी अधिकांश लोगों ने अंशदान नहीं दिया और फ्लैट में शिफ्ट हो गए। वर्तमान स्थिति यह है कि एक फ्लैट की कीमत करीब ५.५० लाख है और अंशदान के रूप में निगम को एक लाख रुपए भी नहीं मिल रहे हैं। इसके चलते पानी, बिजली, सड़क आदि सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं। एेसी स्थिति में वे हितग्राही ठगा महसूस कर रहे हैं, जिन्होंने एक लाख रुपए देकर फ्लैट लिया था।

 

फ्री में लिया, किराए पर दिया

फ्लैट में रहने वालों में से कई ने इसके लिए कोई राशि नहीं दी है। कई एेसे भी हैं, जिन्हें अन्य जगह से पंवासा मल्टी में भेजा गया है। सूत्रों के अनुसार इनमें से कुछ ने अनाधिकृत रूप से फ्री में मिले घरों को ही दूसरों को किराए पर दे दिया है। एेसे में घरों का संधारण ही नहीं हो पा रहा है। जिन्हें मुफ्त में रहने को मिला वे संधारण पर खर्च नहीं करते और जो किराए से रह रहे हैं वे भी इसमें रुचि नहीं लेते। कुछ महीने पूर्व आगररोड से करीब ३० परिवारों को पंवासा मल्टी में पुनर्वासित किया था। वर्तमान में इमनें से ११ परिवार ही वहां रह रहे हैं, शेष लोग घरों पर ताले लगाकर अन्यत्र चले गए हैं। आशंका है कि कुछ महिनों बाद उक्त फ्लैट भी किराए पर दे दिए जाएं।
अब क्षेत्र के एेसे हैं दयनीय हालात
गंदगी- सभी क्षेत्रों की मल्टी में ड्रेनेज सिस्टम खराब हो गया है और गंदगी पसरी रहती है। घरों के आसपास सफाई नहीं हो रही है।
सुविधा- हितग्राहियों द्वारा राशि जमा नहीं करने पंवासा मल्टी में नलों से जलप्रदाय नहीं होता है। कई घरों में बिजली कनेक्शन नहीं है।

अवैध काम- कुछ खाली फ्लैट असामाजिक तत्वों के अड्डे बन गए हैं। नशीले पदार्थों का विक्रय, अवैध कार्य आदि मामले भी सामने आते हैं।
बोले रहवासी

पानी की काफी समस्या आती है। कई बार पाइप लाइन से मल्टी को जोडऩे की मांग की गई लेकिन वर्षों बाद भी नलों से जलप्रदाय व्यवस्था शुरू नहीं हो सकी है। टैंकर से मिलने वाले पानी पर ही आश्रित रहना पड़ता है।

– जीतू मालवीय, रहवासी पंवासा मल्टी

मल्टी परिसर में नियमित सफाई नहीं होती है। निकासी व्यवस्था भी ठीक नहीं होने के कारण गंदगी और बढ़ जाती है। सुरक्षा व्यवस्था की भी कमी है। मल्टी बनने के इतने वर्ष बाद भी आधारभूत सुविधा के लिए परेशान होना पड़ता है।
– रानी छाडि़या, निवासी पंवासा मल्टी०००

कुछ दिन पूर्व ही समीक्षा की थी। जानकारी मिली है कि कई हितग्राहियों ने अंशदान की राशि जमा नहीं की है। कुछ मल्टी में जरूरी सुविधाएं भी प्रभावित होने की भी समस्या सामने आई है। अधिकारियों को अपडेट रिपोर्ट तैयार करने और रहवासियों को जरूरी सुविधा उपलब्ध करवाने का कहा है।

– डॉ. योगेश्वरी राठौर, शहरी गरीबी उपशमन प्रकोष्ठ समिति प्रभारी

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